2 February 2015

आज कल समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ?


     क्या आपने कभी सोचा है कि आजकल हमे समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ?  समय पर काम न करने या होने पर हम गुस्सा हो जाते है, आगबबूला हो जाते है, चिढ़ जाते हैं, तनाव में आ जाते है।  समय की कमी के चलते हम लगभग हर पल जल्दबाजी और हड़बड़ी में रहते है।  इस चक्कर में हमारा blood pressure बढ़ जाता है, लोगों से हमारे संबंध ख़राब हो जाते है, हमारा मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है और कही बार तो accident भी हो जाते है।  समय की कमी हमारे जीवन का एक अप्रिय और अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है। 

     क्या आपने कभी यह बात सोची है ? हमारे पूर्वजों को कभी time management की जरूरत नही पड़ी, तो हमें क्यों पढ़ रही है ? क्या हमारे पूर्वजों को दिन में ४८ घंटे मिलते थे और हमें केवल २४ घंटे ही मिल रहे है ? आप भी जानते है और मै भी जानती हू कि ऐसा नहीं है ! हर पीढ़ी को एक दिन में २४ घंटे का समय मिला है।  लेकिन २० वी सदी की शुरूवात से हमारे जीवन में समय कम पड़ने लगा है और यह समस्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है।  बड़ी अजीब बात है क्योंकि २० वी सदी की शुरूवात से ही इंसान समय बचाने वाले नए-नए उपकरण बनता जा रहा है।  

     २० वी सदी से पहले कार(car ) नही थी,मोटर साइकिल (motor cycle) या स्कूटर (scooter) भी नही थे, लेकिन हमारे पूर्वोजो को कही पहुँचने की जल्दी भी नही थी।  पहले मिक्सचर (mixture), फ़ूड प्रोसेसर (food processor) या मिक्रोवेन (microven) नहीं थे, लेकिन गृहिणियां सिल पर मसाला पीसने या चूल्हे पर खाना पकाने में किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाती थीं।  वास्तव में तब जीवन ज्यादा सरल था, क्योंकि उस समय इंसान जिंदगी घड़ी हिसाब से नही चलती थी।  technologic युग के बाद factory, office और नौकरी का जो दाैर शुरू हुआ, उसने इंसान को वक़्त का गुलाम बना दिया।

     पहले जीवन सरल था अब कठीन हो चूका है।  यही हमारी समस्या का main reason है।  पहले जीवन की speed धीमी थी, लेकिन अब fast हो चुकी है।  अब हमारे जीवन में internet, google, facebook, twitter etc आ गया है, जो एक मिनिट में ही हमें दुनिया से जोड़ देता है।  अब हमारे जीवन t.v आ चूका है, जिसका बटन दबाते ही हम दुनिया की खबरें  जान लेते है।  अब हमारे पास कारें और हवाई जहाज है, जिनसे हम तेज़ी से कही भी पहुँच जाते है।  अब हमारे पास 3g mobiles है, जिनसे हम दुनिया में कही भी, किसी से भी बात और chatting कर सकते है।  आधुनिक अविष्कारों ने हमारे जीवन की गति बढ़ा दी है।  शायद आधुनिक अविष्कार ही हमारे जीवन में समय की कमी का सबसे बड़ा कारण है।  इनकी मेहेरबानी से हम दुनिया से तो जड़ गए है, लेकिन शायद खुद से दूर हो गए है।
     यदि आप समय के सर्व श्रेष्ठ का उपयोग को लेकर चिंतित है, तो इसका सीधा समाधान यह है -  यदि आप किसी तरह आधूनिक अविष्कारों से मुक्ति पा लें और दुबारा पुरानी जीवन शैली अपना लीजिए, तो आपकी काफ़ी सुविधा हो जाएगी।  नहीं,नहीं,,,,,मै यहाँ चूल्हे पर रोटी पकाने की बात नही कर रही हू।  मै तो केवल इतना ही कहना चाहती हू कि mobile, t.v, internet, chatting आदि समय बर्बाद करने वाले अविष्कारों का इस्तेमाल कम कर दीजिए। 

     पहले वक़्त हमारे जीवन पर हावी नहीं हुआ था और इसका सीधा सा कारण यह था कि ज्यादातर लोगों के पास घड़ी ही नही थी ; मुर्गे की बाग ही काफी थी।  तब ८ : १८ की लोकल पकड़ने का कोई तनाव नही रहता था।  तब कोई काम सुबह ९ बजे हो या ९:१५ बजे, कोई खास फर्क नहीं पड़ता था, लेकिन आज पड़ता है। 

     याद रखें, दुनिया कभी नही बदलेगी, बदलना तो आपको ही है।  यदि आप अपनी जीवनशैली (lifestyle) और सोच को बदल लेंगे, तो समय का समीकरण भी बदल जाएगा।  जैसा अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था, 'हम जिन महत्त्वपूर्ण समस्याओ का सामना करते है, उन्हें सोच के उसी स्तर पर नही सुलझा जा सकता है, जिस पर हमने उन्हें उत्पन्न किया था।'
      अब गेंद आपके हाथ में है! अपनी सोच बदले, जीवनशैली बदलें और समय का उचित प्रबंधन करके अपना जीवन बदल लीजिए।  इस तरह Peter A.F की बात हमेशा याद रखें, 'जब तक हम समय का प्रबंधन नहीं कर सकते, तब तक हम किसी भी चीज का प्रबंधन नही कर सकते।'    


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