डर पर काबू पाए
मनुष्य जब तक अंतः मन में किसी विचार को जन्म नही देता तब तक कुछ भी निर्माण नही कर सकता। मनुष्य के मन में आये विचार चाहे वे इच्छित हो या अनिच्छित उनमें बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो जाती है मन के विचार जो संयोगवश दिमाग में आ जाते है किसी के लिए आर्थिक समृद्धि, सामाजिक प्रतिष्ठा, व्यापार आदि में सहायक हो सकते है जैसे की खुद के द्वारा निर्मित विचार ऐसा करने में सहायक है।
मै आपको एक जरूरी बात बताना चाहती हु कि क्यों कुछ लोग भाग्यशाली नजर आते हैं जबकि अन्य व्यक्त्ति उतनी ही काबिलीयत होने के बावजूद भाग्यहीन कहलाते है। इस सच्चाई को हम इस तरह कह सकते हैं कि हर एक मनुष्य में अपने दिमाग को बेहतर ढंग से दिशा देने की योग्यता होती है।
प्रकृति ने मनुष्य को अपने विचार पर पूर्ण नियंत्रण की छूट दी है। इसके साथ सच्चाई ये जुडी है कि मनुष्य जो भी चीज़ का निर्माण करता है वह पहले उसके दिमाग में उपजता है। इस दोैरान यह भी हो सकता है कि डर अपने गिरफ़्त में ले लीजिए। यह भी सच है कि सभी विचारों में शारीरिक समता कि प्रवृत्ति होती है और यह भी उतना ही सच है की अंतर मन में समाये दर और गरीबी को साहस व आर्थिक लाभ में बदला नही जा सकता।
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बहुत सुंदर
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