26 February 2015

सापेक्षता के नियम को समझें।


     सापेक्षता का नियम समय के संदर्भ में भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।  समय वही रहता है, बस हमारा नजरिया बदल जाता है।  आपने खुद देखा होगा, जब बच्चे जब कार्टून देखते है, तो उन्हें भूख-प्यास का एहसास ही नही होता, उन्हें पता ही नही चलता कि कब दो घंटे गुज़र गए।  दूसरी ओर, जब बच्चे पढ़ते है, तो उन्हें सौ काम याद आ जाते है और पंद्रह मिनिट में उन्हें ऐसा लगता है कि बहुत समय हो गया। यह सापेक्षता के नियम के कारण होता है। 

     अपना प्रिय और मनपसंद काम करते समय आपको समय का एहसास ही नही होता, क्योंकि तब आप लय होते है, जिसे मनोवैज्ञानिक फ़्लो में रहना कहते है।  इस समय आप जो काम करते है, वह सहज ही बेहतरीन होता है, क्योंकि आप बिना कोशिश किए सर्वश्रेष्ठ कार्य करते है।  बेहतर यही कि आप सापेक्षता के नियम को ध्यान में रखकर अपने काम को दिलचस्प बनाने के तरीक़े खोजें, ताकि आप लय में काम कर सकें।  अपने सबसे महत्त्वपूर्ण काम को दिलचस्प बनाए और दिलचस्प मानिए। 

मान लीजिए कि आप सेल्समेन है और आपको अपने काम से नफ़रत है।  ऐसे में आपका 1 घंटे काम करने से थक जाएंगे और सोचेंगे कि बाकी का काम आप कल कर लेंगे।  दूसरी ओर, यदि आप अपने लक्ष्य को ध्यान में रखते है, अपने पिछले रिकॉर्ड से प्रतिस्पर्धा करते है आज एक नया कीर्तिमान बनाना चाहते है, तो  आपको यह दिलचस्प खेल लगेगा, जिससे आपमें नई ऊर्जा का संचार होगा।  कुछ दिलचस्प करें, जिसमे\जिसमें आपका मन लगे।  यदि आपका काम नीरस है कि उसे दिलचस्प बनाने का कोई उपाय ही नही है, तो या तो काम बदल ले या फिर किसी विशेषज्ञ से उसे दिलचस्प बनाने का कोई उपाय पूछ लें।  आप काम के अंत में खुद को पुरस्कार का लालच भी दे सकते है।  

     यदि आपको पता होगा कि काम पूरा होने पर आप टेबल पर पैर रखकर हॉट कॉफ़ी पिएँगे या कोई फ़िल्म देखेंगे या पसंदीदा डिनर करेंगे, तो इससे आपको प्रेरणा मिलेगी और काम में दिलचस्पी भी बढ़ेगी।  इतना ही क्यों, अपने आर्थिक लक्ष्य को याद करते रहे और यह कल्पना करें कि उसे प्राप्त करने पर आपका जीवन कितना सुखमय हो जाएगा।  लक्ष्य हमारे पैरों को आगे बढ़ने की शक्ति देते है और हमें कष्ट सहन करने का संबल प्रदान करते है।  यदि आपका सपना पर्याप्त शक्तिशाली है, तो यह आपको लगा तार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा। 

     देखिए, सापेक्षता का सिद्धांत कभी न भूले !  दूसरों को लगेगा कि आप दिन-रात ख़ाम ख्वाह मेहनत कर रहे है, जबकि आपको उनकी तरह मज़े करने चाहिए, लेकिन आपको दिखेगा कि आप दिन रात मेहनत करके अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहे है और वह समय जल्द ही आएगा, जब आप अपनी मनचाही मंज़िल पर पहुँच जाएंगे और उसके बाद सारी जिंदगी मज़े करेंगे।  यही सापेक्षता है।  एक को वर्तमान (present) कष्ट दिखता है, दूसरे को भावी सुख।  यह आप पर निर्भर है। 
                                 
                                                         ALL THE BEST

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  2 comments:

  1. Thank you so much for information

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  2. Sir aap aapke blogs pe add kyu nahi lagate, thodi achhi income shuru hojaygi yaar....

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